Ayurved.

                                               उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेसर )



रोग का कारण ---


असंयमित रहन -सहन , खान -पान ,अप्राकृतिक दिनचर्या ,मानसिक विकार ,तली हुई चरपरी अधिक वसा वाली वस्तुओ को अधिक सेवन,मांसाहार ,मद्यपान ,देर रात्रि तक जागना।

                    मैदे से बना हुआ भोज्य पदार्थ ,मावे पूरी-पराठें ,समोसे कचौरी,केक पेस्ट्री का नियमित सेवन।

दुसरे को मात देने के लिए सदा तनावग्रस्त रहना, क्रोध करना, ईर्ष्या करना , घृणा एवं कुशंकायाँ करना , अत्यधिक स्त्री प्रसंग में लिप्त रहना , गँजा -भाँग , चरस , जर्दा , शराब , चाय -कॉफ़ी जैसे गरम पदार्थों का सेवन करना भी इस रोग के जनक हैं ।


रोग के लक्षण ---

  • नींद कम आना 
  • जी घबराना 
  • हर समय शंका और चिंता बने रहना 
  • चक्कर आना 
  • एक आँख की रौशनी धीमी या धूमिल होना 
  • गर्दन के रंगों का अकड़े हुए प्रतीत होना 
  • पेट का आपन वायु के कारन भारी रहना 

चितिक्सा ---


उच्च रक्तचाप की आयुर्वेद चितिक्सा की विशेषता यह है की अन्य चितिक्सा पद्धतियों के जैसे इसमें केवल उच्च रक्तचाप की हे चिकित्सा नै की जाती बल्कि उसके साथ हे मलावरोध , मड्वात अर्थात गैस तथा अम्लपित की भी कारगर चिकित्सा की जाती है। इस रोग की चिकित्सा में गिलोय सत्व मुक्ता शुक्तिपिष्ठी , जहर मोहरा खाते पिष्ठी आदि औषधियों के योग , रोग और रोगी की अवस्था के अनुसार सेवन कराना   चाहिए ।
            साथ हे सौफ़  का अर्क ,आवले का मोराब्बा भी उपयोगी है। सर्पगंधा वती, ब्रह्मिवती , शंखपुष्पी सीरप  भी लाभदायक है है। पलक, बथुआ , सहजन का पत्ता, लौकी , मूंग दाल , अर्हर्दाल ,लहसुन , प्याज, मीठे सेब , अनार का सेवन करना उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी है।

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