ahinsa paramo dharmah
वेदंताकारो ने कहा है अहिंसा परमो धर्मः अर्थात अहिंसा हीं सबसे बड़ा धर्म है | परन्तु अहिंसा के बारे में लोगों का विचार संकुचित है | साधारणतया लोग यह मानते है की मांस-मछली का सेवन न करना हीं अहिंसा है | परन्तु यह तो अहिंसा का एक छोटा सा भाग है | विस्तृत अर्थों में अहिंसा का तात्पर्य , मन , कर्म और वचन से किसी भी जीव को कष्ट नहीं पहुचाने से सम्बंधित है | कुछ लोग मांस नहीं खाकर दूध पीते है और अपने को अहिंसक बताते है , जबकि मेरा मानना है की ज्यादा दूध का सेवन हिंसा की श्रेणी में आता है | क्योंकि गाय से दूध निकलने के क्रम में बछरे को गाय के पैर में रस्सी से बंधा दिया जाता है | दूध दुहने के क्रम में गाय के बच्च्रे को भारी कष्ट होता है और हम ये मान चुके है कि किसी भी जीव को मन, कर्म, वचन से कष्ट पहुँचाना हिंसा है | इस कसौटी पर दूध दुहना बेचना तथा उसका उपयोग करना भी हिंसा है|
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