Pashu Bali ka Auchitya

अश्वं नैव गजं नैव ,व्याघ्रं नैव नैव च ,अजा पुत्रं बलिम दद्यात दैव दुर्बल घातकः !!!!

दुर्गा पूजा शक्ति पूजा है| इसमें, नवरात्र के माध्यम से शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों का विकास किया जाता है| परन्तु कुछ लोग ,इस पवित्र नवरात्री में बकरे की बलि देते है| 

घोड़े की नहीं ,हाथी की नहीं और बाघ की बली तो नहीं ही दी जा सकती है| कमजोर बकरी के बच्चे की बलि देना.....क्या ये सिद्ध करता है कि देवता दुर्बल या कमजोर का घातक है?

देवता या ईश्वर को दीनबंधु,दयानिधि, करूणानिधि आदि नामों से जाना  जाता है , तो फिर उनके लिए एक निर्दोष जीव की बलि देना कहाँ  तक युक्तिसंगत है ?
यदि बलि ही देना हो तो पशु की नहीं अपितु अपने भीतर छिपे हुए पशुता की देनी चाहिए | जैविक दृष्टि से मनुष्य भी एक एनिमल(पशु) है ,धर्मं,संस्कार एवं अच्छे कर्म से ही वह एक सामाजिक प्राणी बना हुआ है |यदि पशुता की बलि की जगह पशु बलि को बढ़ावा देंगे, तो मनुष्य एक दिन इतना हिंसक हो जाएगा कि आदमी ही आदमी को मार कर खाने लगेगा |
इसीलिए मेरा अनुरोध है....... ऐ  मौत के फंदे में झूलते हुए इन्सान ,देवी देवता के नाम पर निर्दोष पशुओं की बलि चढ़ाना और  अपने स्वार्थ के लिए मांस का भक्षण करना छोड़ दो,अन्यथा  मनुष्य एक दिन इतना हिंसक  हो जाएगा, कि इन्सान ही इन्सान का गला घोटकर उसके खून से अपनी प्यास बुझएगा और अगली सभ्यता के लोग आज  के इन्सान को डायनासोर जैसा सिर्फ जीवस्मा में  खोजेंगे.... 

टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
true ! violence in any form cant be accepted....

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