Bhikhari.......
देखो उसे जो जा रहा है....
कौन है वह?
उत्तर मिला,
भूखा भिखारी !
पेट की खातिर मिटाने भूख वह
लेकर कटोरा और लाठी जा रहा है |
आँख जिनकी गद्धियों में घुस चुकी है,
पीठ धनुषाकार जिनकी हो गयी है|
पेट में दाने नहीं है,
घरो में खाने नहीं हैं ,
दिन भर वह भूखा प्यासा
राह पर वह,
जा रहा है!!!
एक चिथरे धोतियों में है लपेटा...
भूत सा वह,
जा रहा है!!!
दानियों के दान का गुणगान करता...
चीखता वह,
जा रहा है!!!
भूख की ललकार सुनकर...
गृहस्थ की फटकार सुनकर ,
पगडंडियों पर पड़े पत्तल...
चाटने वह,
जा रहा है!!!
उसी क्षण फिर चार कुक्कर...
देख जूठी रोटियों को,
भिड़ पड़े है!!!
भिखारी कमजोर दुर्बल,
व्याधि से कमजोर निर्बल...
डरकर हटा पीछे ,
परन्तु पास के पाषाण से...
चोटिल हुआ वह,
जा रहा है!!!
भूख से संघर्ष करता...
कठिन त्रिन पगडंडियों पर,
जा रहा है!!!
थककर गिरा वह,
धम्म्म्मम्म....
हाय! देखो क्या उसे अब हो गया है...
देख ऐसा दृश्य,
सदमा आ गया मुझको.......
लेकिन तुझे मैं क्या कहूँ...
दिल में दया की बूंद भी तो
है नहीं तुझमें !!!
कौशल किशोरे झा की मौलिक रचना (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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