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मार्च, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हमारा खानपान कैसा हो?

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आधा भोजन, दुगुना पानी, तिगुना श्रम, चौगुनी मुस्कान. मांसाहारी भोजन का त्याग करे: मांसाहारी भोजन विष के सम्मान होता है, जब किसी जानवर को मारा जाता है तब उसके शरीर में भय, गुस्सा से जहरीले हारमोंस बनते हैं. चबाकर खाए: चबाकर भोजन करने से ' seritonin ' नामक होरमोन की मात्र बढती है, जिससे अनिद्रा, सिरदर्द आदि रोग दूर होते हैं. स्वश्थ शरीर में खून का क्षारीय और अम्लीय अनुपात 80:20 रहता है . अतः क्षारीय खाद्य पदार्थ का ज्यादा सेवन करना चाहिए. क्षारीय पदार्थ : गुड, शहद, ताज़ा दूध, दही, ताज़े फल, हरी सब्जियां, चोकर युक्त आटा, छिलका सहित दाल, अंकुरित अनाज, मख्खन, कच्चा नारियल, सूखे मेवे, सलाद (टमाटर, खीरा, चुकुन्दर आदि ), नीम्बू, संतरा, मौसंबी अनानाश. अम्लीय पदार्थ: चीनी, कृत्रिम नमक, मैदा, polished  चावल, बेसन, अचार, ब्रेअड, बिस्किट, केक, पिज्जा, cream , meat , मिठाइयाँ, तेल, घी, कृत्रिम शीतल पेय. सदैव अचार एवं पापड से परहेज़ करे. नीम्बू का अचार फायदेमंद, पुदीने की चटनी, धनिया की चटनी, टमाटर की चटनी फायदेमंद परन्तु बोतलबंद सौस नुकसानदेह.     

Water Conservation....

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   कर बहियाँ बल आपनी                            छाड़ी विरानी आस । जाके आँगन नदी बहे,                          सो कत मरे पियास ।।   ।।  बूंद-बूंद से घट भरे ।।                                                                             ।। हर घट से जीवन चले ।।     _अर्थात दुसरे की आशा छोड़ कर अपने बहुबल पर विश्वास करना चाहिए । जिसके आँगन में नदी बहती है वह प्यासा कैसे मर सकता है ।      वर्तमान समय में भारत वासी को कबीर की इस पंक्ति से शिक्षा लेनी चाहिए । इजराएल में प्रति वर्ष औसतन वर्षा 50cm होती है फिर भी वहाँ की सरकार एवं जन भागीदारी के चलते वर्षा जल के संरक्षण का इतना उत्तम प्रबंध किया गया है की कम बारिश उस देश के फसल के विकास एवं अन्य उपयोग में बाधा नहीं बन पाती है । जल-कृषि (water harvesting) तकनीक का बेहतर विकास, झरना सिंचाई (sprinkler system) के बढ़ावा देने के कारण इस्राएल खाद्यान्न एवं अन्य फसलों एवं सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी है ।    दूसरी तरफ भारत में औसतन 140cm -150cm वार्षिक वर्षा होने पर भी फसलों के उत्पादन में पिछड़ा हुआ है । पानी के घरेलु , कृषि ,

Jal Hei JEEvaN HaI....!!!

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रहिमन पानी राखिये ....      बिन पानी सब सून । पानी गये न ऊबरे ,      मोती मानुस चून।।            ये पन्तियाँ जल के महत्व को रेखांकित करती हैं । रहीम कवी इस पंक्ति के माध्यम से कहना चाहते हैं की पानी का संगरक्षण करना चाहिए । सामान्य रूप से इन पंक्तियों में पानी दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है । मनुष्य का पानी (लज्जा, इमानदारी, मानवीयता) यदि ख़त्म हो जाए तो वह मनुष्य के रूप में बिना सिंग और पूछ वाला एक जानवर ही होगा । मोती से यदि पानी(चमक) ख़त्म हो जाए तो उनूप्योगी हो जाता है और उसके मोती होने का कोई अर्थ नहीं रह जाता । इसीप्रकार चूना(lime) का यदि पानी ख़त्म हो जाए तो वह उपयोग के लायक नहीं रह जाता है ।          वर्तमान समय में जल का महत्व और भी बढ़ता जा रहा है । यु तो धरती का ७१% भाग जल है तथा शेष २९% स्थल है, फिर भी समुद्री जल पीने के उपयोग में नहीं लाया जा सकता है चुकी वह बहुत ही खारा है । सम्पूर्ण जल का १% उपयोग  लायक है और उस १% का मात्र दसमा भाग पीने लायक है । सम्पूर्ण स्थलीय जल का २५% भूमिगत जल है । भूमिगत जल निम्न कारणों से कम तथा दूषित हो रहा है :- वनों का

Sarp Aur Garudh.....!!!!

जानामि रे कापुरुष तव प्रभावं । स्थानं प्रधानं न ही बालम प्रधानं ।। व्याख्या - एक बार भगवन विष्णु का सन्देश लेकर गुरुड़ जी भगवान् शिव के पास पहुचे । भगवान् शिव समाधी में लीं थे । अतः गरुढ़जी चुप चाप थोड़ी दूर पर बैठ गये । शिवजी के मस्तक पर बैठा हुआ तक्षक नाग गरुढ़जी को देखकर फूफकारने लगे ।गरुढ़ ने सोचा यह तो हमारा भक्ष है(भोजन) है। इसकी जाती मुझे देख कर कांपती अवं पलायन कर जाती है । इसका ऐसा दुश्सहस इसलिए है क्युकी यह शिव के सर पर सवार है जहां कोई हमला नहीं कर सकता है । गरुढ़जी बोले - रे कायर! मई तो तेरा प्रभाव जनता हु पर स्थान प्रधान होता है, बल नहीं होता । शिक्षा - कभी कभी साधारण मनुष्य बड़े नेतायों अफसरों अवं अन्य बड़े हैसियत वाले लोगों के प्रभाव में अपने को बहोत हे शक्तिशाली और समर्थीयवान मानने लगते हैं और अपने से बड़े हैसियत वालों के साथ भी अच्छा बर्ताव नहीं करते । ऐसे व्यक्ति का साथ जब इन रुत्वेदार लोगों से छुट जाता है तोह समाज में इन्हें फिर कोई नहीं पूछता । इसलिए लोगों को अपने क्षमता और हैसियत का हमेशा ध्यान रखना चाहिए...!!!!!

Khattar Kaka aur Maula Nasiruddin.....

मौला नसीरुद्दीन और खट्टर काका दोनों दोस्त थे । परीक्षा में मौला नसीरुद्दीन अव्वल अंक लाते थे जबकि खट्टर काका पढने में कमजोर थे । फिर भी नसीरुद्दीन का परीक्षा में नक़ल करकर अच्छे अंक ले आते थे । एक बार की बात है, नौकरी के लए दोनों इंटरविउ( अंतर्विक्षा) देने गये । मौला नसीरुद्दीन तो खुश थे किन्तु खाक्क्टर काका यह जन कर उदास थे की मौखिक परीक्षा में नक़ल कैसे किया जाए । उन्होंने अपनी बात मौला नसीरुद्दीन को बताई तोह नसीरुद्दीन बोले इसमें कौन सी बड़ी बात है, मेरा जब इंटरविउ चलता रहेगा तब तुम खिड़की के पास मेरा जवाब सुन लेना और जब तुम्हे पुचा जाएगा तो वही जवाब परीक्षक को बतला देना । अंतर्विक्षा शुरू हुई और नसीरुद्दीन को कक्ष में बुलाया गया ।  अंतर्विक्षक ने पहला सवाल दागा - भारत स्वतंत्र कब हुआ? उत्तर - प्रक्रिया तो १९४२ में ही शुरू हो गयी थी....परन्तु सफलता १९४७ में प्राप्त हुई । दूसरा सवाल - इसमें किसका योगदान था? उत्तर - यह एक व्यक्ति के प्रयास से संभव नहीं हुआ इसमें अनेक लोगों का योगदान है । तीसरा सवाल - क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है? उत्तर - इसकी खोज चल रही है । अब खट्ट

Vasant Ritu Varnan

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सर्दी की बीती ठिठुरन   पूस की ठंडी रात की सिहरन । वायु शीतल अब मंद मंद शरद ऋतू की हो गयी अंत ।। लुक चिप कर आम्र की झुरमुट से   महुए की मस्ताई फूलों  से झरते पत्तों के शूलों से । बगिया के सुन्दर फूलों से इठलाता आया ऋतू वसंत ।। महिमा जिसकी कवी गाया है  मधूमास ऋतू अब छाया है । सबकी अलसायी काया है फूलों पत्तों में छाया  है ।। ऋतू कान्हा को यह भाया है महिमा गीता में गाया है ऋतू कुशुमाकर बतलाया है । ऋतुओं में सबसे श्रेष्ठ ऋतू... वर्णन करके हरसाया है ।। फूलों की फैली मृदु सुगंध पुरवाई चली अब मंद-मंद । भौरें गाते अब मुक्त छन्द वीणा-पानी का हुआ अवतरण ।। वेलेनताइन संत का ज्ञान दिवस शिव और शिवा  का मिलन दिवस । इस ऋतू पर हमसब को है गर्व और खिल उठे पेड़-पौधे-हर्ब ।।   कोयल पिपिहा अब गाते हैं पेड़ के पत्ते झर जाते हैं । सब बल्लारियां खिल जाते हैं अली फूलों से मिल जाते हैं' ।।   फिर मधुर सुरों में गाते हैं सबको यह मौसम भाता है फूलों का सुगंध जब छाता है । होली का  महोत्सव आता है सब पर मस
धर्मो विस्वस्य जगतः प्रतिस्था  लोके धर्मिष्ठं प्रजा उपसर्पन्ति । धर्मेण पापं अप्नुदंती  धर्मे सर्वं प्रतिष्ठितम तस्माद धर्मं परमम् वदन्ति ।।   अर्थात संपूर्ण सचर जगत की प्रतिष्ठा धर्म से है । इस संसार में प्रजा सदैव हे मार्गदर्शन के लिए धर्म प्रिय मनुष्य की ओर निहारा करती है । धर्म से पापों का क्षय होता है तथा धर्म से ही समाज की हर व्यवस्था प्रतिष्ठित होती है । 
                किस किस गली में नहीं है माजर मेरा                           जहाँहसी देखी वही मर गया ।।              पत्थर थे तराशा तो खुदा निकले  तरक्की इसको कहते हैं...हम तोह संतरास के संतरास निकले।।            कौन कहता है की आसमान में छेद नहीं होता,                        एक पत्थर तोह तबीयत से उछालो यारों ।।  मैंने कब कहा वह अच्छा बहोत है                   पर उसने मुझे चाह बहोत है। शोहरत ने उसे तनहा कर दिया                   दरिया है पर प्यासा बहोत hai ।। वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या,                   जिस पथ में बिखरे शूल न हो। नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,                   यदि धारायें प्रतिकूल न हो ।।         

Dharm(religion)

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"धृतिः क्षमा दमो अस्तेयंग सौच्मंद्रियानिग्रह । धी विद्या सत्यम क्रोधो दशकं धर्म लक्षणं ।"                    अर्थात धैर्य, क्षमा, मन का निग्रह, चोरी नहीं करना, बहार अवं भीतर की शुद्धि, इन्द्रियों का संयम, सात्विक बुद्धि, आध्यात्म विद्या(बुद्धि ), सत्य बोलना, अक्रोध, धर्म के यही दस मूल लक्षण धर्म ग्रंथों में बतलाए गये हैं । इस प्रकार ऊपर-युक्त गुणों की रक्षा करके ही मनुष्य, मनुष्यता की रक्षा की जा सकती है...इसलिए कहा गया है-                                          धर्मं एव हटो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।             तस्माद धर्मो न हन्तव्यो माँ नो धर्मो हटो बधीत ।।                          यानी जो धर्म का नाश करता है, धर्म भी उसका नाश करता है और जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है।                                   इसे एक सरल उदहारण द्वारा समझा जा सकता है- गर्मी की चिलचिलाती धुप में किसी के हाथ में छाता है और वह धुप से बच रहा है। कुछ देर बाद यदि वह अपने छाता को तोड़ देता है तो खुद ही वह धुप और गर्मी में झुलस जाएगा । अर्थात धर्म भी मा

Bhagwan Shri RAM ki Vanshawali.....

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श्री राम रघुवंशी रजा थे । इन्हें रघु-वंश मणि भी कहा जाता है । रजा रघु दशरथ जी के दादा थे । और दशरथ राम जी के पिता थे । पुराणों अवं अन्य धर्म ग्रंथों के अनुसार रघुकुल की तीस पीढ़ियों का परिचय इस प्रकार  है - वैवस्वत मनु  महाराजा दिलीप रघु अज  दशरथ  राम कुश अतिथि निषध नल नभ पुण्डरीक क्षेमधन्वा देवानीक अहीनगु पारिपात्र शील नाभी वज्रनाथ शंखन हरिदश्व विश्वसह हिरन्यनाभ कौशल्य बुध्हिस्थ पुत्र पुष्य  ध्रुवसंधि सुदर्शन अग्निवर्ण सुदर्शन के पुत्र रजा अग्निवर्ण रघुवंश के अंतिम शशक थे ।

Gharelu Nuskhe 2

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Khansi ke liye(Cough) - अदरक का रस एक चम्मच, शहद एक चम्मच मिला कर दिन में ३-४ बार सेवन करें. सरसों के दाने बारीक पीस कर शहद में मिला कर रख दे, आवश्यकता अनुसार दिन में ४-५ बार १/४ चम्मच चाते । पीपली(पीपर) को पीस कर मधु में मिला कर एक-एक चम्मच सुबह-शाम चाते । गाए का घी गर्म कर उसमे काली मिर्च का चूर्ण डालकर चाते । बासा (बाकस) के पत्ते का काढ़ा पीने से खांसी छूट जाता है । तुलसी पत्र अवं काली मिर्च का काढ़ा भी खांसी में लाभदायक है । मुलेठी (यसठी-मधु / जेठी-मधु) खांसी में फायदा पहुचता है । Motapa kam karne ke liye(lose weight) - omega3 फैटी असिड , जो समुद्री मछलियों, अलसी के बीज में प्रचुर मात्र में पाया जाता है के सेवन करने से मोटापा कम होता है साथ हे पुरुषों में प्रोस्तेद-कैंसर का खतरा कम करता है ।   HEALTH TIPS>>> मसरूम (agaricus ) खाने से मधुमेह (diabetes ), कैंसर का खतरा कम हो जाता है । लौकी का रस पीने से heart  blockage कम करता है । उसमे बेल पत्ता , तुलसी पत्ता, पुदीना पत्ता का रस मिला देने से और ज्यादा कारगर हो जाता है (यदि लौकी का जूस कड

bilb- sreefal, shandilya, sdafal, bael...

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Bael ke gude me qucilage, pectic, sakra, tanins, aadi pae jate h jo digestive system ke vikaaron ko door karta hai. marmelocin namak rsayan swalp matra me he virechak hota hai. iska mool rechak sangathan hai. isme ek udansheel tail bhi hota hai.  kacche fal ka prayog :- agnimandta (acitity and other digestive problems) me labhdayak hai. gas me faydemand hai. badhajmi (idigestion) me labhkaari hai. isme myucilage itna adhik hota hai ki diarrhoea ke baad yeh turant ghaon (injuries) ko bhar deta hai. purani pechis mein labhkari. ulcerative colitis ke rog mein labhdayak. sangrahini(sool) mein kacche bael panch gram churna, ek chammach shahad ke sath do-char baar lene se fayda hota hai. das gram bael churn, 120ml paani mein pka kar shesh 20g mein 5g shahad mila kar bacchon ke daant nikale ke samay dene par takleef se rahat milti hai. khuni babasir(piles) - kacche bael ka guda gud ke sath pkakar ya shahad mila kar sevan karne se raktatisar ya khuni babasir mein labh pauc

SHANTI PATH...

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                              ॐ द्यौः शांतिः अंतरिक्शः शांतिः पृथिवी शांति रापः शांतिः                                     औषधयः शांतिः वनस्पतयः शांतिः विश्वेदेवाः शांतिः                                     ब्रह्म शांतिः सर्वं शांतिः शान्तिरेव सा मा शान्तिरेधि                                                        ॐ शांतिः शांतिः शांतिः  अर्थात प्रकाश की शांति ताकि जीवन दय्दिप्यामन रहे । विचारों के अन्तरिक्ष की शांति ताकि वैश्विक सद्भावना बनी रहे । पृथ्वी की शांति ताकि प्रगति निर्बाध रहे । औषधियों की शांति ताकि जीवन रोग-मुक्त रहे । वनस्पति की शांति ताकि पर्यावरण अनुकूल रहे । सर्व शक्तियों की शांति ताकि जीवन यापन निर्विघन चले । संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शांति ताकि शांति सर्व-व्याप्त रहे ।

SASTA PAUSHTIK AAHAAR

Palak, chaulai, hari methi, gobhi ke patte, muli ke patte, hari dhaniya, sarson ka saag, pudina, sehjan ka saag, bathua, bandh gobi, phul gobi, chane ka saag, gajar ke patte, papita, kaddu, aadi....ye sabhi saste paustik aahaar hain. prati sau gram matra-    Iron             Calcium          Vitamin A         Vitamin b Chaulai Saag                 3.4mg            3.97mg          5.32mg            99.0mg Bathuwa Saag              4.2mg            150mg           1.74mg                  _ Chane ka Saag             23.8mg          340mg            978mg                  _ Hari Dhaniya                1.43mg          1.64mg           6.92mg             13.5mg Sarson ka Saag            16.3mg          155mg            2.62mg              33.0mg Palak                          1.14mg           73.00mg         5580mg            128mg Shalgam ka saag          28.4mg           710mg            9.36mg            180mg Salaad patta                        _                

YOG BHAGAAE ROG!!!

Maharshi patanjali ne yog ko aatank, vair bhav, aadi mitane mein bhi kaargar btaya hai.                                                        'tat sannidhau vair tyagah'      Arthat jiske(yog ke) saanidhya se log shatruta bhul jate hain tatha vair bhav ki smapti ho jati hai. | Aaj jab pura vishwa kalah, yudh, aatankwaad tatha naxalwaad se juj rha hai toh iske unmulan hetu police, aantrik suraksha vyawastha ke sath sath yog siksha ko bhi badhawa diya jana chahiye. Yog ke sambadh mein aam bhranti hai ki yog sharirik roop se bimar ya mansik roop se ashant vyakti ko karna chiye. Yog ka prayojan manushya ka apni puri xamta ka jeevan mein upyog karna hai. Yog ke mool granth patanjali yogsutra ke anusaar 'ath yoganusasanam'  ....arthat yog ka pehla path anusashan hai. 'Yogah chitt vritti nirodah' yani yog chitt-vrittiyon(man) ko niyantrit karne ki vidhi hai. 'Tda trastoswarupe tadasthanam' yani apni sthiti ka sahi gyan karna bhi yog ka uddeshya ha

HOLI.....EK MADANOTSAV...!!!!!

Prakriti nitya nutan hai. sdabahar alhadh ,nayika chirantan aur aanandras se paripurna. Iske antahpur mein madhuras aanandras ka mahashrot hai. Bhartiya chintan mein isi shrot naam hai utsa. Utsav isi aanandras ka aatpuran hai.holi vanshotsav ka charam hai.                           Vatsyayan ke kamsutra (1.4.42) mein yeh ek vasantolaas kreeda parv haI.   Aarya sanskriti mein vasant janmanas mein ras-rang ka sanchar karta hai.                                           "kar gyo re fagun kawanmanmani...                                      chuway lagta mahuwa se rahi rahi paani!"      Ved-Puran mein vasant ritu ko madan sakha kaha gya hai. .... Dharm granthon mein kailash parvat par vasantotsav ka ullekh bar-bar aata hai. Manyata hai ki mahadeo ne rati ke anunay-vinay par bhasmi bhoot 'kamdeo' ko vasant panchmi ke din jeevant kiya tha. Vasant Panchmi ka mahatwa deshkalaatit hai, kyuki isi din 'maa saraswati' ka aavirbhav diwas bhi hai..... Kinshuk ke

Holi ke sabandh mein Vichar

Holi hinduon ka ek mahatwapurna tyohaar hai. Yah falgun mas ke shukla paksha purnima ko mnaya jata hai. Is parva ke mnane ke piche bahot sari kahaaniyan , dant kathayen, bodh kathayen prachalit hain . iInme se ek katha HIRANYAKASHYAPU aur PRAHLADH ke katha hai. Hiranyakashyapu ka arth hota hai hiranya ko dekhne wala....Hiranya ka matlb hota hai sona, dhan, sampatti, aadi. Arthat hiranyakashyapu ka purn wyavarik arth hua "ghor bhautiktawadi vyakti".                                                                      Hiranyakashyapu ke putra ka naam prahladh tha. Prahladh ka arth hota hai aahladh yukt. is prakar prahladh ka tatwik arth hua aanand yukt, ullaas yukt, bhakti yukt, utsav yukt, saral avam sahaj tatha "jisne apni aawashyakta ko kam kar liya ho".                                                                                                               Aaj ki duniya bhaukitwadi hai. Isme arbon hiranyakashyapu magar ginti ke do-char prahladh hain. Ab yah

DRUMSTICK-Sahjan...

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पोषक तत्व                                   सहिजन का पत्ता             अन्य खाद्य पदार्थ (प्रति १०० ग्राम) विटामिन ए                                        ६७८० micro g                        गाजर -१८९० micro g विटामिन सी                                       २२० ml g                               नारंगी -३० ml g कैल्सियम                                          ४४० ml g                               गाए का दूध -१२० ml g पोतास्सियम                                      २५९ ml g                               केला -८८ g प्रोटीन                                                ६.७ g                                     गाए का दूध - ३.२ ml g sehjan ka patta sevan karne se rakt chap(bp)  kam hota hai. sehjan ke phul khane se chotti ya badi pox hone ki sambhawna kam ho jati hai. sehjan ka beej garmi me paani ke sath khane par loo lagne ki sambhawna kam ho jati hai. yah bahot he sasta avam sulabh vanaspati hai jo sarvatra uplabdh hai.
वक़्त गुलशन पे था तोह लहू मैंने दिया .........    बहार आई  तोह कहते हैं तेरा काम नहीं...!!!!!! जिन्हें हम फूल समझे थे गला अपना सजाने को ...     वही अब नाग बन बैठे हमी को काट खाने को ....!!!! मंजिलें उसे मिलती हैं जिसके सपनों में जान होती है...    पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है...!!! सोना सज्जन साधुजन टूटी जुडे सौ बार ...      दुर्जन कुम्भ कुम्हार के एके धका दरार ...!!!

COMPARISON BETWEEN CAULIFLOWER AND ITS LEAF

in every 100 grams- components                                  cauliflower                                  leaf of cauliflower vapor                                            90.8 g                                                          80.00g protein                                            2.60 g                                                          5.90 g fat                                                   0.40 g                                                          1.30 g minerals                                          1.00 g                                                          3.20 g crude fiber                                      1.20 g                                                          2.00 g carbohydrates                                 4.00 g                                                          7.60 g calcium                                           33.0 mg                                                        626 mg phosphorus    

smran shakti badhane ka upay

सुखा अमला (गुठली रहित ) - ५०० ग्राम  सौथ                                   -  १०० ग्राम  अश्वगंधा                            - ३०० ग्राम  पीसी मिश्री (ग्रिन्देद)            - ४०० ग्राम                     ऊपर दिए  सभी घटकों को मिला कर प्रातः- सयंग(morning-evening) छह चम्मच दूध या जल के साथ  सेवन करे।  यह छात्रों एवं बुद्धिजीवियों के लिए अमृत तुल्य  है ।  बच्चों के लिए सिर्फ दो चम्मच प्रयोग करें । 
"मन एव मनुष्यानाम करणं बन्ध मोक्षयो । बंधाय  विश्यसकतम मुक्तेयानिर विश्यम्स्म्रितम ।।"                                    अर्थात मन ही मनुष्य के बंधन तथा मोक्ष के लिए कारण है । विषयासक्त मन बंधन का तथा निर्विषय मन मुक्ति का कारण बनता है । 
                         शास्त्र का अर्थ है जो हमपर शासन करता है और हमारी रक्षा करता है.                                                             "शास्ति च त्रायते चेति शास्त्रं "

HAREETKI (harre)

"yasya mata grihe n asti,tasya mata HAREETKI. kdachit kupyate mata nodarastha HAREETKI"                                     Arthat jiski maa ghar mein nai hai uske liye 'harre' uski maa k smaan hai. maa kabhi kabhi kupit(gussa) ho sakti hai parantu pet mein gya hua harre kabhi hani nahi pahuchata hai. HARRE KA PRAYOG --- grishm ritu mein gur ke sath. varsha ritu mein sendha namak ke sath. sharad ritu mein shakkar ke sath. hemant ritu mein shunthi(sauth; dry ginger) ke sath. shishir ritu mein peepli(pepper) ke sath. vasant ritu mein madhu ke sath.                                                        proyog karna chahiye. Bharat Mein in Rituon ka Samay- HEMANT RITU:- 22 oct -21dec SHISHIR RITU:- 22 dec- 21feb VASANT RITU:- 22feb- 21apr GRISHM RITU:- 22aprl- 21june VARSHA RITU:- 22june- 21aug SHARAD RITU:- 22aug- 21oct