वक़्त गुलशन पे था तोह लहू मैंने दिया .........   बहार आई  तोह कहते हैं तेरा काम नहीं...!!!!!!

जिन्हें हम फूल समझे थे गला अपना सजाने को ...
    वही अब नाग बन बैठे हमी को काट खाने को ....!!!!


मंजिलें उसे मिलती हैं जिसके सपनों में जान होती है...
   पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है...!!!


सोना सज्जन साधुजन टूटी जुडे सौ बार ...
     दुर्जन कुम्भ कुम्हार के एके धका दरार ...!!!

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