किस किस गली में नहीं है माजर मेरा
                          जहाँहसी देखी वही मर गया ।।


             पत्थर थे तराशा तो खुदा निकले 
तरक्की इसको कहते हैं...हम तोह संतरास के संतरास निकले।।


           कौन कहता है की आसमान में छेद नहीं होता,
                       एक पत्थर तोह तबीयत से उछालो यारों ।। 


मैंने कब कहा वह अच्छा बहोत है
                  पर उसने मुझे चाह बहोत है।
शोहरत ने उसे तनहा कर दिया
                  दरिया है पर प्यासा बहोत hai ।।


वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या,
                  जिस पथ में बिखरे शूल न हो।
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
                  यदि धारायें प्रतिकूल न हो ।। 
 
 
 

 

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