"मन एव मनुष्यानाम करणं बन्ध मोक्षयो ।
बंधाय  विश्यसकतम मुक्तेयानिर विश्यम्स्म्रितम ।।"
             
                     अर्थात मन ही मनुष्य के बंधन तथा मोक्ष के लिए कारण है । विषयासक्त मन बंधन का तथा निर्विषय मन मुक्ति का कारण बनता है । 

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