Khattar Kaka aur Maula Nasiruddin.....

मौला नसीरुद्दीन और खट्टर काका दोनों दोस्त थे । परीक्षा में मौला नसीरुद्दीन अव्वल अंक लाते थे जबकि खट्टर काका पढने में कमजोर थे । फिर भी नसीरुद्दीन का परीक्षा में नक़ल करकर अच्छे अंक ले आते थे । एक बार की बात है, नौकरी के लए दोनों इंटरविउ( अंतर्विक्षा) देने गये । मौला नसीरुद्दीन तो खुश थे किन्तु खाक्क्टर काका यह जन कर उदास थे की मौखिक परीक्षा में नक़ल कैसे किया जाए ।


उन्होंने अपनी बात मौला नसीरुद्दीन को बताई तोह नसीरुद्दीन बोले इसमें कौन सी बड़ी बात है, मेरा जब इंटरविउ चलता रहेगा तब तुम खिड़की के पास मेरा जवाब सुन लेना और जब तुम्हे पुचा जाएगा तो वही जवाब परीक्षक को बतला देना ।


अंतर्विक्षा शुरू हुई और नसीरुद्दीन को कक्ष में बुलाया गया । 


अंतर्विक्षक ने पहला सवाल दागा - भारत स्वतंत्र कब हुआ?
उत्तर - प्रक्रिया तो १९४२ में ही शुरू हो गयी थी....परन्तु सफलता १९४७ में प्राप्त हुई ।


दूसरा सवाल - इसमें किसका योगदान था?
उत्तर - यह एक व्यक्ति के प्रयास से संभव नहीं हुआ इसमें अनेक लोगों का योगदान है ।


तीसरा सवाल - क्या मंगल ग्रह पर जीवन संभव है?
उत्तर - इसकी खोज चल रही है ।




अब खट्टर काका को अंतर्विक्षा के लिए बुलाया गया .......


अंतर्विक्षक का पहला सवाल - तुम्हारा जन्म कब हुआ था?
उत्तर - प्रक्रिया १९४२ में ही शुरू हो चुकी थी परन्तु सफलता १९४७ में प्राप्त हुई ।


दूसरा सवाल - तुम्हारे पिताजी का नाम क्या है?
उत्तर - यह एक व्यक्ति के प्रयास से संभव नहीं हुआ बल्कि इसमें अनेक लोगों का योगदान है ।


तीसरा सवाल - क्या तुम पागल हो?
उत्तर - इसकी खोज चल रही है ।












# इस प्रकार बिना अकल के नक़ल करने का परिणाम आत्मघाती हो सकता है ।

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